歌词
जिसे ज़िन्दगी ढूंढ रही है
जिसे ज़िन्दगी ढूंढ रही है
क्या ये वो मक़ाम मेरा है
यहा चैन से बस रुक जाऊं
क्यों दिल ये मुझे कहता है
जज़्बात नए इस मिले हैं
जाने क्या असर ये हुआ है
इक आस मिली फिर मुझको
जो कुबूल किसी ने किया है
किसी शायर की गजल,
जो दे रूह को सुकून के पल
कोई मुझको यूँ मिला है,
जैसे बंजारे को घर
नाये मौसम की सेहर,
या सर्द में दोपहर
कोई मुझको यूँ मिला है,
जैसे बंजारे को घर
·· संगीत ··
मुस्काता ये चेहरा, देता है जो पहरा
जाने छुपाता क्या दिल का समंदर
औरों को तो हरदम साया देता है
वो धुप में है खड़ा ख़ुद मगर
चोट लगी है उसे फिर क्यों
महसूस मुझे हो रहा
दिल तू बता दे क्या है इरादा तेरा
मैं परिंदा बेसबर,
था उड़ा जो दरबदर
कोई मुझको यूँ मिला है,
जैसे बंजारे को घर
नाये मौसम की सेहर,
या सर्द में दोपहर
कोई मुझको यूँ मिला है,
जैसे बंजारे को घर
जैसे बंजारे को घर
जैसे बंजारे को घर
जैसे बंजारे को घर
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