歌词
इंसान की ज़िंदगी में दो चीजों को बहुत अहमियत हासिल है
उसका महबूब और मयकदा
मयकदे और महबूब के दरमियाँ
घिरे हुए इंसान को, उसकी उलझनों को
जिस ग़ज़ल ने बड़ी खूबसूरती से बयान किया गया है
वो ग़ज़ल को मैं आपके सामने पेश करना चाहता हूँ
उस ग़ज़ल के शायर हैं "जनाब जफ़र गोरखपुरी"
ऐ गम-ए-ज़िंदगी
कुछ तो दे मशवरा
ऐ गम-ए-ज़िंदगी
कुछ तो दे मशवरा
एक तरफ़ उसका घर
एक तरफ़ मयकदा
एक तरफ़ उसका घर
एक तरफ़ मयकदा
मैं कहाँ जाऊँ होता नहीं फ़ैसला
मैं कहाँ जाऊँ होता नहीं फ़ैसला
एक तरफ़ उसका घर
एक तरफ़ मयकदा
एक तरफ़ उसका घर
एक तरफ़ मयकदा
शेर अर्ज़ है
रास्ता कैसा है, क्यूँ संभलते नहीं?
रास्ता कैसा है, क्यूँ संभलते नहीं?
कैसी मंज़िल है ये पाँव बढ़ते नहीं
रास्ता कैसा है, क्यूँ संभलते नहीं?
कैसी मंज़िल है ये पाँव बढ़ते नहीं
सामने है मेरे ये अज़ब मोड़ सा
एक तरफ़ उसका घर
एक तरफ़ मयकदा
एक तरफ़ उसका घर
एक तरफ़ मयकदा
मयकदे में कभी पहुँचे तो खो गए
मयकदे में कभी पहुँचे तो खो गए
छाँव में ज़ुल्फ़ की हम कभी सो गए
मयकदे में कभी पहुँचे तो खो गए
छाँव में ज़ुल्फ़ की हम कभी सो गए
अपनी तक़दीर में जाने किस में लिखा
एक तरफ़ उसका घर
एक तरफ़ मयकदा
एक तरफ़ उसका घर
एक तरफ़ मयकदा
ज़िंदगी एक है और तलबगार दो
ज़िंदगी एक है और तलबगार दो
जाँ अकेली मगर जाँ के हक़दार दो
ज़िंदगी एक है और तलबगार दो
जाँ अकेली मगर जाँ के हक़दार दो
दिल बता पहले किसका करूँ हक़ अदा
एक तरफ़ उसका घर
एक तरफ़ मयकदा
एक तरफ़ उसका घर
एक तरफ़ मयकदा
ऐ गम-ए-ज़िंदगी
कुछ तो दे मशवरा
ऐ गम-ए-ज़िंदगी
कुछ तो दे मशवरा
एक तरफ़ उसका घर
एक तरफ़ मयकदा
एक तरफ़ उसका घर
एक तरफ़ मयकदा
मैं कहाँ जाऊँ होता नहीं फ़ैसला
मैं कहाँ जाऊँ होता नहीं फ़ैसला
एक तरफ़ उसका घर
एक तरफ़ मयकदा
एक तरफ़ उसका घर
एक तरफ़ मयकदा
एक तरफ़ उसका घर
एक तरफ़ मयकदा
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1.Ek Taraf Uska Ghar - Live